अक्तूबर 29, 2008

कभी

अपनी आशाओ के पर जाओ --

जिन्दगी के नए रंग

हाथों मे रौशनी लिए फिरते हैं

हम रोज़ चलते हैं

अपने मन मे सैकडो मील

एक अलग दुनिया मे

कभी एक छोटा सा बच्चा गेंद लेकर

उसमे कूद जाता है ।

अक्तूबर 05, 2008

हो सके तो
बचा के रखना
अपने बचपने की
हर वो आदते - जिस पे डांट पड़ती थी ।

पुरानी दोस्ती सी
उनमे बसी है
तुम्हारे होने की ताकत

सितंबर 17, 2008

सवा किलो चावल

वे दोनों रिक्शे पर जा रहे थे । पति रास्ता पूछने उतर गया । उसे पता करने मे समय लगा ।
रिक्शेवाला : पता नही कितना टेम लगेगा ? हमें छोड़ दीजिये ।
स्त्री : थोडी देर रुको वे आ ही रहे हैं ।
रिक्शेवाला :बहनजी थोडी देर मे दस रुपए मे एक किलो के बदले सवा किलो चावल थोड़े ही आएगा ।

हिंदी हिंदी के शोर में

                                  हमारे स्कूल में उन दोनों की नयी नयी नियुक्ति हुई थी । वे हिन्दी के अध्यापक के रूप में आए थे । एक देश औ...