फ़रवरी 21, 2014

पटनियाँ बाबू सब के लिए मुफ्तीया वाई-फ़ाई !


हमारे नीतीश भैया ने विश्व का सबसे लंबा मुफ़तिया 'वाई-फ़ाई ज़ोन' बना के नाम तो कमा लिया गुरुजी ! कम से कम अहिए बहाने उनका नाम तो चमकेगा और राजनीति का दू–एक दिन भी भटकेगा । बीस किलोमीटर का मुफ्तीया वाई-फ़ाई ! मन तो करता है उठाएँ अपना झोरा-झपाटी आ जा के बैठ जाएँ ऊ सड़क पर जहां ई बेबस्था है । आजकल तो अपने पास वाई-फ़ाई को पकड़ने का बहुत जोगाड़ है, ऊपर से मुफ्तीया ! पर हम त यहाँ केरल में झक मार रहे हैं हम कहाँ जाएंगे ? हमरे पूज्य पिताजी कहते हैं बन के गीद्दर जइहें किद्धर ! बन मने जंगल , गिद्दर मने गीदड़ आ किद्धर मने किधर ! एहेन बिहारी बन के गिद्दर सब भरल है देश में । त सवाल ई है कि जब सब लैपटॉप वला बिहारी बाहरे है त किसके लिए किया है ई नितीश भाय ने ?

काम–धंधा के बिना छौरा सब एन्ने–उन्ने ढ़नकल फिरता है । बेसी से बेसी दिनभर में चार ठो गुटखा खा लिया , मांग – मूंग के अधका सिकरेट मार लिया आ छौरी सबका इसकुल – कौलेज होते हुए दु-चार ठो छौरा सब से मार करते हुए घर आ के बड़की चाहे छोटकी कोई भी बहीन हो उसको डांट के अपना खीस निकाल लिया ! अब एहेन में ई वाई-फ़ाई का कोनो  काम है ? नितीश का पैसा डाँड़ गया !

बिहार में सबसे बेसी नोकरी देने वला बेबस्था है ठीकेदारी पर प्राइमरी से लेकर +2 तक में मास्टरी । उसमें केतना पईसा मिलता है सबको पता है । जेतना मिलता है ओतना में मिठुआ जैसा ठीकठाक पीने वला रहे तो महिना भर का चखना नहीं आएगा दारू की बात करते हैं ! आ जो ऊ लेडीज सब मस्टरनी बनीं हैं उनका तो सब पैसबा जान-आन में ही चला जाता है । दू चार सौ बच गया तो परिबार के हाथ में भी देना है । बेचारा सब एगो लेपेस्टिक तक नहीं खरीद सकता है । तब ई नितीश बाऊ जो किए हैं ऊ मजाके न है जी !

एगो ठीका वला मास्टर मान लीजिये आज से गुठका का दाना तक मुंह में न ले तब भी तीन -चार मैहना का 'मानदेय' जाएगा तब आएगा एक ठो सैमसंग ! नहीं तो फिरी वाई-फ़ाई का इस्तेमाल करने के लिए छौरा सब अपने बाप के गला पे चक्कू न रखेगा ! छौरी सब का कोई गिनतिए नै है ! ऊ लोग घर से सड़क पर नै निकल सकता है त एतना दूर पटना दानपूर जाएगा वाई-फ़ाई चलाने !

आगू बात ई है कि भैया ने बिहार को हाइटेक बनाने का बात किया है लेकिन उ सब पटनिया बाबू लोग के लिए ही है ! जहां चार-छ गो नेता-भगता, हाकिम-पेशकार-ठीकेदार सबके पास आकाशी पईसा आया है । वही लोग का बेटा-पुतौह आजकल पटना में पेरिस का मज़ा मार रहा है । नै ते चल जाइए तनि देहात में सब बुझा जाएगा । आ बिहार का देहात मने ई नै है जो आप शहर आ देहात मने समझते हैं । पटना के बाहर जो है सब देहाते है जी !


देखिये ने जो भी बड़का बड़का चीज है सब पटने में हैं । पटना त मान लीजिये एगो बड़ा शहर बनिए गया । लेकिन शेष बिहार ठीक उसी तरह का जैसा गणित में भागफल निकालते हुए शेष रह जाता है ! एकदम निरीह ! राज का बिकास हो रहा है लेकिन ई राज मने पटना है केवल पटना ! उससे बाहर जाइए त कुछ कत्तो नै ! उसी तरह जैसा पहले था ! पटना चमकता जा रहा है और ऊ सहरसा – तहरसा , किशनगंज- फिसनगंज सब ऐसेहिए रहेगा । 

फिर भी दाद देना पड़ेगा नितीश भाय का कि आब टाका-पईसा वाला छौरा सबके लिए एगो बढ़िया बेबस्था कर दिया है । आब ऊ लोग वहाँ से फेसबुक करेगा !

12 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया लिखा है.
    कल टेक-साइटों पर इसकी गूंज दिखी तो लगा कि बिहार भी चमक रहा है, पर इस तरह से चमक रहा है, यह पता नहीं था.
    अब स्पष्ट हुआ कि वाई-फ़ाई मुफ़्त भी इसलिए दिया है कि वाई-फ़ाई का उपयोग करने वाले ही नहीं है वहां! यानी बैंडविड्थ आदि का खर्चा शून्य, और मुफ़्त में, पूरे विश्व में चर्चा!

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    1. यही तो मजा है .... हींग फ़िटकिरी न होने पर भी चोखा रंग निकाल लेने का काम हमारे देश के नेता बड़ी सहजता से कर लेते हैं ... !

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  2. बस बिहार के चेहरा पर स्नो-पाउडर लगा कर ही तो चमकाना है और मिडिया में अपना फेस चपकाना है.. वैसे मुफ्त का फंडा अभी तक काम नहीं कर रहा है..

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    1. अमृता आप सही कह रही हैं ... लेकिन यह केवल बिहार की नहीं बल्कि पूरे देश की सचाई है .... सुनील खिलनानी की किताब है भारतनामा उसमें इस तरह की राजनीति के सूत्र आपको काफी पहले 80 के दशक में ही मिल जाएंगे ... ! दूसरे यह बिहारी स्टाइल ही है कि शुरू हो के भी वह लंबे समय तक यूं ही रहेगा ।

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  3. अब तो लालू, नीतीश बाबू को मौजिन ही हो गयी,सोशल मीडिया पर दोनों जमकर चुनाव प्रचार करेंगे.वाह बिहारी बाबू कमाल कर दिया.

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    1. काश की ये मौज न होती सर ! राजनीति ने हम साधारण लोगों को पूरे फ्रेम से बेदखल कर दिया है !

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  4. भाई मैं तो चर्चा की उम्मीद किए बैठा था ... पर वहाँ तो बस जिक्र था !

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  5. कभी बौद्धििकता में अग्रगण्य रहा बिहार आज ,अपने विभिन्न अंचलों में सांस्कृतिक निधियाँ छिपाये ,कैसा उपहास का पात्र बन रहा है (वहाँ को लोग भी तो...)देख कर दुख होता है .

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    1. बिहार की स्थिति अलग है ... यहाँ लड़ाई संस्कृति और उसके समाप्त होने की नहीं है बल्कि राजनीति और उससे जुड़े स्वार्थ की है ... जरूरत स्वार्थ त्याग कर सबका विकास करने की है न कि खास इलाके में विकास को बांध कर रख देने की । इस प्रवृत्ति का नुकसान आन्ध प्रदेश को हुआ ... आज नही तो कल विरोध के स्वर तो फूटेंगे ही ...

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  6. achhi jankari di hai, dukh bhi hua bihar ki kudasha se...

    shubhkamnayen

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